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सनातन धर्म के विषय में अपने विचार लिखना चाहती हूँ

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  • तारों की बारात
  • शिकार
    सृष्टि के आधे से अधिक प्राणियों को अपना जीवन व्यतीत करने के लिए शिकार पर ही निर्भर रहना पड़ता हैं। जब तक मनुष्य भी जंगल में रहता था। तब तक वह भी वहाँ मिलने वाले कंद मूल फलों के अतिरिक्त अपनी क्षुधा शांत करने के लिए शिकार भी कर लेता था। शिकार की सबसे बड़ीContinue reading “शिकार”
  • लक्ष्य
    Do you have a quote you live your life by or think of often? मैं बचपन से ही चार पाँच साल की आयु में जैसे ही मेरी समझ विकसित हुई थी। तरह तरह की कल्पनाएँ करती रहती थी। अतः उन कल्पनाओं को यथार्थ में बदलने के लिए मैं लक्ष्य भी तय करती रहती थी। यहीContinue reading “लक्ष्य”
  • अर्थ
    जिन प्रश्नों के अनसुलझे रहने या सुलझने पर भी मानव जीवन व प्रकृति के सृजन प्रक्रिया पर किसी तरह का सकारात्मक व नकारात्मक प्रभाव पड़ने वाला नहीं है। उनमें समाज के ज्ञान समय ऊर्जा व पूँजी व समय को व्यय किये जाने की बजाय वर्तमान समाज में समस्याओं व व्याधियों के जो अंबार खड़े होContinue reading “अर्थ”
  • दिल व दिमाग़
    दिल व दिमाग़ एक ही जीवन का अंश है। परंतु शरीर और आत्मा की जीवन से अपेक्षायें भिन्न भिन्न होती हैं। उसी प्रकार दिल व दिमाग़ के जीवन के संदर्भ में लिए गए निर्णय भी भिन्न भिन्न ही नहीं होते हैं। बल्कि मानव जीवन व समाज पर उनका भिन्न भिन्न प्रभाव पड़ता हैं। वर्तमान समयContinue reading “दिल व दिमाग़”
  • दिल्ली
    जिस शहर के नाम के उच्चारण में ही दिल शब्द छिपा हुआ है। दिल जो संसार के सारे मानवीय संबंध व रिश्तों के आपसी लगाव प्रेम व अपनत्व को अनुभव करने वाली सबसे महत्वपूर्ण कड़ी है। परंतु विडंबना यह है कि न केवल इस शहर में रहने वाले लोगों का बल्कि बाहर से आकर यहाँContinue reading “दिल्ली”
  • जश्न (15-5-02)
    लो फिर आज हमने आज़ादी का एक ओर। जश्न मनाया है। जश्न जिसका उच्चारण ही मन को उमंग व उल्लास। से भर देता हैं। पर यह जश्न तो शब्द के लिए ही रह गया है। उसको प्रतिबंबित। करने वाले उमंग व उत्साह। तो उसमें से न जाने कब के विलुप्त हो। चुके हैं। अब तोContinue reading “जश्न (15-5-02)”
  • मनपसंद छुट्टियाँ
    What is your favorite holiday? Why is it your favorite? छुट्टी शब्द का अस्तित्व भी वर्तमान जीवनशैली का अभिन्न अंग है। सच तो यह है कि मानव समाज ने अपनी जैसी सामाजिक व्यवस्था बनाई है। उसके अनुसार तो बाल्यकाल के पाँच छः साल को छोड़कर जीवन के अंत तक उसके जीवन में ऐसा स्वर्णिम अवसरContinue reading “मनपसंद छुट्टियाँ”
  • (no title)
    जीवन में सात्विक भाव व गुण का विकास करने के लिए न केवल संयम व धैर्य की आवश्यकता होती हैं। बल्कि उसके लिए व्यक्ति को साधना व तप भी करना पड़ता हैं। जबकि असुरी प्रवृत्ति में जितनी अधीरता पाई जाती है। वहीं इस प्रवृत्ति के प्रतीक अवगुण को व्यक्ति किसी दूसरे को ही देखकर बिनाContinue reading
  • विकास की नई परिभाषा
    ऐसा नहीं है कि औद्योगिक क्रांति से पूर्व संसार में मानव सभ्यता व संस्कृति का विकास नहीं हुआ था। या इससे पूर्व सभी देशों व समाजों में अधिकांश लोग अशिक्षित व अज्ञानी थे। मेरी राय में सच तो यह है कि जीवन ज्ञान के संदर्भ में ही नहीं बल्कि कला व ज्ञान के संबंध मेंContinue reading “विकास की नई परिभाषा”